भारतीय क्षात्त्र परम्परा - Part 39
चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य ने जो भी निर्णय लिए तथा जो भी संबंध स्थापित किये थे वे सब शास्त्रानुसार तथा परम्परानुगत प्रथा द्वारा मान्य थे। उसके शासन काल में सनातन धर्म का उत्थान अपने चरम शिखर पर था जिसकी कोई तुलना नही की जा सकती है। उसके शासन काल में विभिन्न वर्णों के मध्य सामंजस्य के अनेक उदाहरण है। के.एम.मुंशी कहते हैं –
