भारतीय क्षात्त्र परम्परा - Part 2
युद्दभूमि में बडे बडे योद्दाओं द्वारा प्राण त्यागने वाले वीरों को प्राप्त ‘स्वर्गलोक’ की अवधारणा में सनातनधर्म और सेमेटिक धर्मो के मध्य मूलभूत अन्तर है। उदाहरणार्थ इस्लाम में शहीद को जन्नत मे विलासिता का सुखभोग जैसे बहत्तर हूरों के साथ शारिरिक भोग का आश्वासन दिया गया है। इसके विपरीत भारतीय परम्परानुसार हमें असंख्य ऐसे ‘वीरागल’, अर्थात् बलिदानी की स्मृति में खड़े किये गये प्रस्तर स्तंभ मिलते है जिनके तीन भाग होते है। आधारभाग में रणभूमि में योद्दा के शौर्य प्रदर्शन और उसके प्राण-त्याग का चित्रण उत्कीर्ण होता है, मध्य भाग में देवतागण उसे अपने स्वर्गिक वीमान में बैठ