भारतीय क्षात्त्र परम्परा - Part 37
यह जानते ही विरूढक आपे से बाहर हो गया। ‘इन लोगो ने मेरे पिता को भी धोखा दिया और अब मेरा भी अपमान कर रहे है’ यह कहते हुए उसने संपूर्ण शाक्य समुदाय का ही नाश कर दिया। संक्षेप में यह उस समय के गणतंत्रों के मध्य के प्रेमसंबंधों, विश्वास तथा प्रजातंत्र की स्थिति को दर्शाने वाली एक कहानी है।