History
भारतीय क्षात्त्र परम्परा - Part 84
उन्हे इस्लाम धर्म स्वीकरा करने के लिए बाध्य किया जाने लगा। उस समय वहाँ उपस्थित काजी ने कहा कि गोविंद सिंह चूंकि हमारा शत्रु है इसके लिए इन बच्चों को सजा न दी जावे। परन्तु इस्लाम धर्म स्वीकार न करने के अपराध में उन्हे जिंदा ही दीवार में चुनवा कर निर्दयता पूर्वक मार दिया गया। इन बच्चों को खडा कर उसके आसपास तीन फुट मोटी ईट व चूने की दीवार बनवा दी गई। उस समय बडे भाई जोरावर सिंह की आंखों में आंसू देख कर छोटे भाई फतेह सिंह ने पूछा कि क्या आप डर के कारण रो रहे हो ?
भारतीय क्षात्त्र परम्परा - Part 83
गुरु तेग बहादुर का शौर्य
भारतीय क्षात्त्र परम्परा - Part 82
प्रतिष्ठा से वंचित सम्राट – हेमचन्द्र विक्रमादित्य
भारत के लम्बे इतिहास में कुछ युद्ध बडे निर्णायक सिद्ध हुई। पानीपत की तीनो लड़ाइयां इस दृष्टि से महत्वपूर्ण रही है। यदि इन लडाइयों के परिणामों में थोड़ा भी परिवर्तन हो जाता तो भारत का भविष्य पूर्णतः बदल जाता। ऐसी ही एक लड़ाई में मारा गया महान योद्धा हेमू अर्थात हेमचन्द्र विक्रमादित्य था।
भारतीय क्षात्त्र परम्परा - Part 81
अजेय सम्राट : छत्रसाल
भारतीय क्षात्त्र परम्परा - Part 80
राणा प्रतापसिंह की सफलता और उपलब्धियॉ उसकी नीतियों की योग्यता और प्रभाव को सिद्ध करती है। अपने बाहर वर्षों के सतत प्रयासों के पश्चात भी अकबर उससे कुछ भी छीन सकने में सफल नहीं हो सका। राणा प्रताप ने अपने पिता से प्राप्त राज्य को बिना क्षति अपने पुत्र को सौंपा था। यदि प्रतापसिंह अकबर के समक्ष समर्पण कर देता तो उसका पुत्र अकबर के दरबार में एक सामान्य स्थिति को ही प्राप्त कर पाता। बाद की घटनाओं ने प्रतापसिंह की समस्त उपलब्धियों को लील लिया।
भारतीय क्षात्त्र परम्परा - Part 79
महाराणा प्रतापसिंह : एक अद्वितीय योद्धा
भारतीय क्षात्त्र परम्परा - Part 78
मेवाड़ के महा क्षत्रिय
भारतीय क्षात्त्र परम्परा - Part 77
मध्य भारतीय मुस्लिम साम्राज्य जैसे अहमदनगर, बरार, बीदर, गोलकुण्डा, बीजापुर, गुलबर्गा आदि सतत रूप से लड रहे थे जिसमें यदाकदा विजयनगर का राजा किसी भी एक मुस्लिम राज्य का पक्षधर हो जाता था। इतिहासकारों के अनुसार रामराय ऐसे राजनैतिक दांवपेच किया करता था जो उसका एक कूटनीतिक हथियार था, किंतु जब उसके संबंध पुर्तगालियों से खराब हुए और उसे उसके विरुद्ध कूटनीतिक असफलता प्राप्त हुई तो उसने उन्हें युद्ध में हराते हुए उनके एक लाख पैगोडा छीन लिए। यद्यपि वह शक्ति संपन्न तथा योग्य था किंतु राजनैतिक कौशल की उसमें कमी थी। वह समस्याओं के मूल की पहचान नहीं कर पाया था। उसकी एक बड़ी
भारतीय क्षात्त्र परम्परा - Part 76
भारतीय विद्या भवन द्वारा इतिहास के अनेक खण्ड ग्रंथ भारतीय इतिहास के सत्य को दर्शाने हेतु प्रकाशित हुए है। आर. सी. मजूमदार लिखते है -
