भारतीय क्षात्त्र परम्परा - Part 13
इन सबमें अद्धितीय भार्गववंशी परशुराम थे। वे ब्राह्म-क्षात्र समन्वय के श्रेष्ठ प्रतीक है। परशुराम द्वारा दुष्ट क्षत्रियों की सुव्यवस्थित विनाश लीला का वर्णन पुराणों में दिया गया है। शास्त्रानुसार आपद्धर्म[1] के रुप में हर कोई क्षात्र धर्म धारण कर सकता है।